Monday 19 November 2012

चुपचाप बह रहा है, इस झील का ये पानी,

नैनीताल के चाहने वालों के लिए ... (college days)


चुपचाप बह रहा है, इस झील का ये पानी, 
इसका न कोई किस्सा, कोई नहीं कहानी
नन्हें से ये कदम है, स्कूल जा रहे हैं
कुछ दूर दौड़े-भागे, लो फिर से चल रहे हैं
सन्डे का आज दिन है, निकले हैं ग्रुप बना के
नीले, हरे औ भूरे, ब्लेज़र चमक रहे हैं
नौ बीस बज चुके हैं, अब तो उठ जा साले
क्लासें तुम्हें मुबारक, भई हम तो सो रहे हैं
घोड़ों की टप-टपा-टप, जल्दी से खिड़की खोलो 
आहा!! सुबह-सुबह ही टूरिस्ट आ रहे हैं
अब शाम हो रही है, है माल रोड जाना
तल्ली से मल्ली जाके, क्या दिन गुजर रहे हैं
नावें थिरक रहीं हैं, किश्ती मचल रहीं हैं 
बच्चे, जवान, बूढ़े, पानी छपक रहे हैं
हाथों में हाथ थामे, टूरिस्ट मॉल  पर हैं
उल्फत वही पुरानी,  चेहरे बदल रहे हैं
एसआर-केपी-लंघम, मक्का भी और मदीना
हाजी नए-नए हैं, हज कर के आ रहे हैं 
हनुमान जी भला हो,  अपने इसी बहाने
मंगल के दिन तो देखो अच्छे ही कट रहे हैं
रिश्ते बदल रहे हैं, यारी बदल रही है
नेतागिरी के जज्बे उठ-उठ के छा रहे हैं
लेना न एक देना, हल्ला मचा रहे हैं
किस-किस का टेम्पो ऊंचा, ये कर के आ रहे हैं
अब बर्फ गिर गयी है, बत्ती है और न पानी
पूछो न टॉयलेट के, क्या हाल चल रहे हैं
दाढी बता रही है, टेंशन बढ़ी हुई है
दिखता नहीं क्या तुमको? एक्जाम आ रहे हैं 
इंग्लिश की गाईड यारों, हिंदी में तुम दिला दो
वर्ना तो फेलियर के आसार दिख रहे हैं
And these are some other memories …….
मंदिर के पास गहरे, पानी में कोई डूबा
एक्जाम के नतीजे, कैसे निकल रहे हैं
अब थक चुके कदम है, चढ़ते हैं धीरे-धीरे
ढलती उमर है उन की, वो  घर को जा रहे हैं
बस धूप तापते हैं, बेटा हैं संग न बेटी
आते नहीं हैं मिलने, करीयर बना रहे हैं
होटल नए बने हैं, कुछ पेड़ तो कटे हैं 
अपनी जड़ें मिटा कर, किस को बुला रहे हैं
चुपचाप बह रहा है, इस झील का ये पानी, 
इसका न कोई किस्सा, कोई नहीं कहानी

Sunday 18 November 2012

कमी इज़हार में मुझसे कहीं रही होगी


कमी इज़हार में मुझसे कहीं रही होगी
मिरे जो नाम उसने एक भी तो रात न की

ग़म जुदा होने का होता, अफ़सोस न था
ग़म यही है कि उसने तो मुलाक़ात न की

तमाम रात दिवाली के दिए जलते रहे
तमाम रात अंधेरों ने मुझ से बात न की